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कमला देवी: कोक स्टूडियो में नेहा कक्कड़ के साथ परंपरा को जोड़ते हुए

कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी, जो उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की 50 वर्षीय निवासी हैं, हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपनी उपस्थिति से सुर्खियों में आईं। उन्होंने पॉप संवेदना नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत के सार को आधुनिक भारतीय संगीत के अग्रभाग पर लाया। यह सहयोग न केवल संगीत शैलियों के मिश्रण के रूप में मनाया जाता है बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।

“सोनचड़ी” गीत

कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सत्र में प्रस्तुत “सोनचड़ी” गीत को केवल एक संगीत ट्रैक से अधिक बताया गया है; यह उत्तराखंड की परंपराओं और आत्मा को समर्पित एक होमेज है। नेहा कक्कड़ ने, जो इस राज्य से अपने संबंधों को साझा करती हैं, ने कहा कि यह गीत उनके दिल के बहुत करीब है और इसके महत्व को अपनी मातृभूमि के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में जोर दिया गया है। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का सुंदर मिश्रण है, जिसमें राजुला मालुषाही की पारंपरिक कथा को आधुनिक और आत्मीय तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

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उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की 50 वर्षीय कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपनी भागीदारी से चर्चा में आईं। उन्होंने पॉप संगीत संवेदना नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत की मिठास को आधुनिक भारतीय संगीत के अग्रिम पंक्ति में लाया। यह सहयोग न केवल संगीत शैलियों के संयोजन के रूप में मनाया जाता है बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।

“सोनचड़ी” गीत

कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सीजन में प्रदर्शित “सोनचड़ी” गीत को एक साधारण संगीत ट्रैक से ज्यादा बताया गया है; यह उत्तराखंड की परंपराओं और आत्मा का एक सम्मान है। नेहा कक्कड़ ने, जिनकी जड़ें इस राज्य में हैं, व्यक्त किया कि यह गीत उनके दिल के बहुत करीब है और इसके महत्व को उनकी मातृभूमि के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में जोर दिया गया है। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का सुंदर मिश्रण है, जो राजुला मालुषाही की पारंपरिक कथा को आधुनिक और आत्मीय तरीके से प्रस्तुत करता है।

कमला देवी की भूमिका

“सोनच### कमला देवी: कोक स्टूडियो में नेहा कक्कड़ के साथ परंपरा को जोड़ते हुए

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की ५० वर्षीय कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपनी भागीदारी से सुर्खियों में आईं। उन्होंने पॉप संगीत संवेदना नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत की मिठास को आधुनिक भारतीय संगीत के अग्रिम पंक्ति में लाया। यह सहयोग न केवल संगीत शैलियों के संयोजन के रूप में मनाया जाता है बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।

“सोनचड़ी” गीत

कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सीजन में प्रदर्शित “सोनचड़ी” गीत को एक साधारण संगीत ट्रैक से ज्यादा बताया गया है; यह उत्तराखंड की परंपराओं और आत्मा का एक सम्मान है। नेहा कक्कड़ ने, जिनकी जड़ें इस राज्य में हैं, व्यक्त किया कि यह गीत उनके दिल के बहुत करीब है और इसके महत्व को उनकी मातृभूमि के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में जोर दिया गया है। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का सुंदर मिश्रण है, जो राजुला मालुषाही की पारंपरिक कथा को आधुनिक और आत्मीय तरीके से प्रस्तुत करता है।

कमला देवी की भूमिका

क### कमला देवी: कोक स्टूडियो में नेहा कक्कड़ के साथ परंपरा का संगम

कमला देवी, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की 50 वर्षीय कुमाऊनी लोक गायिका, हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपने सहयोग से चर्चा में आईं। उन्होंने पॉप संवेदना नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत को आधुनिक भारतीय संगीत के अग्रिम पंक्ति में प्रस्तुत किया। यह सहयोग न केवल संगीत शैलियों के संयोजन के रूप में मनाया जाता है बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।

“सोनचड़ी” गीत

कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सत्र में प्रस्तुत “सोनचड़ी” गीत उत्तराखंड की परंपराओं और आत्मा को समर्पित है। नेहा कक्कड़, जो इस राज्य से अपने संबंधों को साझा करती हैं, ने इस गीत को अपने दिल के बहुत करीब बताया है। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का सुंदर मिश्रण है, जिसमें राजुला मालुषाही की पारंपरिक कथा को आधुनिक और आत्मीय तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

कमला देवी की भूमिका

कमला देवी ने “सोनचड़ी” में अपनी भागीदारी से कुमाऊनी लोक संगीत को वैश्विक मंच पर लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। कोक स्टूडियो भारत में उनकी भागीद### कमला देवी: कोक स्टूडियो में नेहा कक्कड़ के साथ परंपरा को जोड़ते हुए

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की 50 वर्षीय कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपनी भागीदारी से सुर्खियों में आईं। उन्होंने पॉप संगीत संवेदना नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत को आधुनिक भारतीय संगीत के अग्रिम पंक्ति में लाया। यह सहयोग न केवल संगीत शैलियों के संयोजन के रूप में मनाया जाता है बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।

“सोनचड़ी” गीत

कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सत्र में प्रस्तुत “सोनचड़ी” गीत उत्तराखंड की परंपराओं और आत्मा को समर्पित है। नेहा कक्कड़, जो इस राज्य से अपने संबंधों को साझा करती हैं, ने इस गीत को अपने दिल के बहुत करीब बताया है। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का सुंदर मिश्रण है, जिसमें राजुला मालुषाही की पारंपरिक कथा को आधुनिक और आत्मीय तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

कमला देवी की भूमिका

कमला देवी ने “सोनचड़ी” में अपनी भागीदारी से कुमाऊनी लोक संगीत को वैश्विक मंच पर लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। कोक स्टूडियो भारत में### कमला देवी: कोक स्टूडियो में नेहा कक्कड़ के साथ परंपरा को जोड़ते हुए

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के लखनी गांव की 50 वर्षीय कुमाऊनी लोक गायिका कमला देवी ने हाल ही में कोक स्टूडियो भारत में अपने अद्वितीय योगदान से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने पॉप सेंसेशन नेहा कक्कड़ और संगीतकार डिग्वी के साथ मिलकर “सोनचड़ी” गीत में कुमाऊनी संगीत के जादू को आधुनिक भारतीय संगीत के साथ साझा किया। यह सहयोग न केवल संगीतिक शैलियों का मिश्रण है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को एक श्रद्धांजलि भी है।

“सोनचड़ी” गीत का परिचय

“सोनचड़ी” गीत कोक स्टूडियो भारत के दूसरे सीज़न में प्रस्तुत किया गया, जिसे एक साधारण गीत से अधिक बताया गया है। नेहा कक्कड़, जो उत्तराखंड से अपनी जड़ों को साझा करती हैं, ने इस गीत को अपने दिल के करीब बताया और इसे अपनी मातृभूमि के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत किया। गीत में कुमाऊनी और हिंदी भाषाओं का मिश्रण है, जिसमें राजुला मालुषाही की पारंपरिक कहानी को आधुनिक और आत्मीय तरीके से पेश किया गया है।

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